बाल कविता
बिल्ली मौसी आई है,
साथ बिलोटे लाई है।
एक है गोरा एक है काला,
एक सफेद तो एक मटियाला।
फुदक-फुदक कर चलते सारे,
नन्हे-नन्हे प्यारे-प्यारे।
धमा चौकड़ी दिन भर करते,
हर इक आहट से हैं डरते।
बिल्ली जहां-जहां भी जाती,
साथ में उनको भी ले जाती।
इस ढब उनको सिखा रही है,
जीवन के रंग दिखा रही है।
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सतीश मराठा
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